
मेरे ये दोस्त मुझसे झूठ भी अब,
मेरे ही सर को छूकर बोलते हैं|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मेरे ये दोस्त मुझसे झूठ भी अब,
मेरे ही सर को छूकर बोलते हैं|
राजेश रेड्डी
नया इक हादिसा होने को है फिर,
कुछ ऐसा ही ये मंज़र बोलते हैं|
राजेश रेड्डी
तेरे हमराह मंज़िल तक चलेंगे,
मेरी राहों के पत्थर बोलते हैं|
राजेश रेड्डी
सराये है जिसे नादां मुसाफ़िर,
कभी दुनिया कभी घर बोलते हैं|
राजेश रेड्डी
मेरी परवाज़ की सारी कहानी,
मेरे टूटे हुए पर बोलते हैं|
राजेश रेड्डी
ज़ुबां ख़ामोश है डर बोलते हैं,
अब इस बस्ती में ख़ंजर बोलते हैं|
राजेश रेड्डी
जब दोस्तों की दोस्ती है सामने मेरे,
दुनिया में दुश्मनी की मिसालों को क्या करूँ|
राजेश रेड्डी
मैं जानता हूँ सोचना अब एक जुर्म है,
लेकिन मैं दिल में उठते सवालों को क्या करूँ|
राजेश रेड्डी
दिल ही बहुत है मेरा इबादत के वास्ते,
मस्जिद को क्या करूँ मैं शिवालों को क्या करूँ|
राजेश रेड्डी
चलना ही है मुझे मेरी मंज़िल है मीलों दूर,
मुश्किल ये है कि पाँवों के छालों को क्या करूँ|
राजेश रेड्डी