
रात हमें कुछ याद नहीं था,
रात बहुत ही याद आए हो|
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रात हमें कुछ याद नहीं था,
रात बहुत ही याद आए हो|
मोहसिन नक़वी
भूले थे उन्हीं के लिए दुनिया को कभी हम,
अब याद जिन्हें नाम भी अपना नहीं आता|
आनंद नारायण मुल्ला
ये अश्क-ए-मुसलसल हैं महज़ अश्क-ए-मुसलसल,
हाँ नाम तुम्हारा मुझे जपना नहीं आता|
आनंद नारायण मुल्ला
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया|
साहिर लुधियानवी
संगदिल को हमारी याद आई,
फूल चट्टान पर खिला देखा।
नक़्श लायलपुरी
उस शाम वो रुख़सत का समां याद रहेगा,
वो शहर, वो कूचा, वो मकाँ याद रहेगा|
इब्ने इंशा
जो बिसाते-जाँ ही उलट गया, वो जो रास्ते से पलट गया,
उसे रोकने से हुसूल क्या? उसे भूल जा…उसे भूल जा।
अमजद इस्लाम
मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में, तेरी आस तेरे गुमान में,
सबा कह गयी मेरे कान में, मेरे साथ आ उसे भूल जा।
अमजद इस्लाम
छुप के रोता हूँ तेरी याद में दुनिया भर से,
कब मेरी आँख से बरसात नहीं होती है|
शकील बदायूँनी
क्या क़यामत है ‘मुनीर’ अब याद भी आते नहीं,
वो पुराने आशना जिनसे हमें उल्फत भी थी|
मुनीर नियाज़ी