
रक़्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में,
हमने ख़ुश होके भँवर बांध लिये पाँवों में|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रक़्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में,
हमने ख़ुश होके भँवर बांध लिये पाँवों में|
क़तील शिफ़ाई
समझ जाते हैं दरिया के मुसाफ़िर,
जहाँ में हूँ वहाँ मझधार होगा|
राजेश रेड्डी