
सिखा देती है चलना ठोकरें भी राहगीरों को,
कोई रस्ता सदा दुशवार हो ऐसा नहीं होता|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सिखा देती है चलना ठोकरें भी राहगीरों को,
कोई रस्ता सदा दुशवार हो ऐसा नहीं होता|
निदा फ़ाज़ली
राहों से जितने प्यार से मंज़िल ने बात की,
यूँ दिल से मेरे आपके भी दिल ने बात की|
कुँअर बेचैन