
तीरगी हो तो वजूद उसका चमकता है बहुत,
ढूँढ तो लूँगा उसे ‘नूर’ मगर शाम के बाद|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तीरगी हो तो वजूद उसका चमकता है बहुत,
ढूँढ तो लूँगा उसे ‘नूर’ मगर शाम के बाद|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’