
साहिल की गीली रेत पर बच्चों के खेल-सा,
हर लम्हा मुझ में बनता बिखरता हुआ सा कुछ|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
साहिल की गीली रेत पर बच्चों के खेल-सा,
हर लम्हा मुझ में बनता बिखरता हुआ सा कुछ|
निदा फ़ाज़ली