पलकों की हवा का होता!

साँस मौसम की भी कुछ देर को चलने लगती,
कोई झोंका तिरी पलकों की हवा का होता|

गुलज़ार

कैसा मौसम है कुछ नहीं खुलता!

कैसा मौसम है कुछ नहीं खुलता,
बूंदा-बांदी भी धूप भी है अभी|

अहमद फ़राज़

मौसम बहुत सताएगा!

तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है,
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा |

बशीर बद्र