
दिल जल रहा है ज़र्द शजर देख देख कर,
अब चाहतों के बीज न बोया करेंगे हम|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दिल जल रहा है ज़र्द शजर देख देख कर,
अब चाहतों के बीज न बोया करेंगे हम|
क़तील शिफ़ाई