
होश-ओ-जुनूँ भी अब तो बस इक बात हैं ‘फ़िराक़,’
होती है उस नज़र की शरारत कहाँ कहाँ|
फ़िराक़ गोरखपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
होश-ओ-जुनूँ भी अब तो बस इक बात हैं ‘फ़िराक़,’
होती है उस नज़र की शरारत कहाँ कहाँ|
फ़िराक़ गोरखपुरी
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है,
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है|
निदा फ़ाज़ली
कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं,
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं|
राहत इन्दौरी
आज, मैं फिर से भारत के नोबल पुरस्कार विजेता कवि गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर की एक और कविता का अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह उनकी अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित जिस कविता का भावानुवाद है, उसे अनुवाद के बाद प्रस्तुत किया गया है। मैं अनुवाद के लिए अंग्रेजी में मूल कविताएं सामान्यतः ऑनलाइन उपलब्ध काव्य संकलन- ‘PoemHunter.com’ से लेता हूँ। लीजिए पहले प्रस्तुत है मेरे द्वारा किया गया उनकी कविता ‘Senses’ का भावानुवाद-
गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता
-रवींद्रनाथ ठाकुर
और अब वह अंग्रेजी कविता, जिसके आधार मैं भावानुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ-
-Rabindranath Tagore
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार।
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