
यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं,
मिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं|
मजरूह सुल्तानपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं,
मिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं|
मजरूह सुल्तानपुरी
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उसने,
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की|
परवीन शाकिर
आइना अब जुदा नहीं करता,
क़ैद में हूँ रिहा नहीं करता|
मुनीर नियाज़ी
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में,
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे|
क़तील शिफ़ाई
शाम-ए-फ़िराक़ आई तो दिल डूबने लगा,
हमको भी अपने आप पे कितना ग़ुरूर था|
मुनीर नियाज़ी
बिछड़ के तुझसे कुछ जाना अगर तो इस क़दर जाना,
वो मिट्टी हूँ जिसे दरिया किनारे छोड़ देता है|
वसीम बरेलवी
इतने ख़ामोश भी रहा न करो,
ग़म जुदाई में यूँ किया न करो|
मुनीर नियाज़ी
मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम,
इक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम|
क़तील शिफ़ाई
लगा के देख ले जो भी हिसाब आता हो,
मुझे घटा के वो गिनती में रह नहीं सकता|
वसीम बरेलवी
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं|
अहमद फ़राज़