
क्यूँ बख़्श दिया मुझसे गुनहगार को मौला,
मुंसिफ़ तो किसी से भी रिआ’यत नहीं करता|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
क्यूँ बख़्श दिया मुझसे गुनहगार को मौला,
मुंसिफ़ तो किसी से भी रिआ’यत नहीं करता|
क़तील शिफ़ाई