
हर तरफ़ ज़ीस्त की राहों में कड़ी धूप है दोस्त,
बस तेरी याद के साये हैं पनाहों की तरह|
सुदर्शन फ़ाकिर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हर तरफ़ ज़ीस्त की राहों में कड़ी धूप है दोस्त,
बस तेरी याद के साये हैं पनाहों की तरह|
सुदर्शन फ़ाकिर