आज कुछ इधर-उधर की बात कर लेते हैं। कल एक फिल्म देखी थी- ‘पागलपंती’। वैसे तो ये एक अच्छी कॉमेडी मूवी है, जिसमें लॉजिक का ज्यादा महत्व नहीं होता। खास बात यह लगी कि इस फिल्म में निर्माता ने नीरव मोदी (फिल्म में नाम-नीरज मोदी रख दिया है) को भी शामिल कर लिया और फिल्म के तीन मनहूस माने जाने वाले नायक अंत में नीरव मोदी की देश से चुराकर विदेश में ले जाई संपत्ति पर भी कब्ज़ा कर लेते हैं और अपने देश के अधिकारियों को सौंप देते हैं। नीरव मोदी के पूज्य मामाजी के दर्शन भी इस फिल्म में होते हैं।
सचमुच देखकर यही लगता है कि ये फिल्म वाले सभी समस्याओं को कितनी आसानी से हल कर लेते हैं। मुझे याद है कि हमारी कई फिल्मों में चीन और पाकिस्तान से जुड़ी समस्याओं को भी हल किया जा चुका है और जहाँ तक मुझे याद है पाकिस्तान के खूंखार आतंकवादी हाफिज सईद को भी एक-दो फिल्मों में निपटाया जा चुका है, बस हमारी सरकारें ही इतनी स्मार्ट नहीं होतीं, अगर हमारे फिल्म निर्माता सरकार चलाने लगें तो क्या बात है। वैसे अनुराग कश्यप, नसीरुद्दीन शाह और जावेद अख्तर जैसे कुछ लोग तो बेचारे कब से सरकार चलाने के लिए बेताब हैं।
एक बात और आज हुई, काफी दिनों से मध्य प्रदेश सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के और उनके साथ शायद 22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के कारण आए संकट के कारण, आज राज्यपाल के निर्देश पर सत्र बुलाया गया था और निर्देश यह था कि कमल नाथ अपना बहुमत सिद्ध करें, वैसे यह तो निश्चित था कि ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष वैसी ही भूमिका निभाएंगे, जैसी पिछले काफी समय से इस पद पर सुशोभित लोग निभाते आए हैं। इस भूमिका को देखकर याद आता है कि छोटे बच्चे जब क्रिकेट खेलते हैं, या कोई और खेल भी हो सकता है, तब बहुत सी बार वे अपने पक्ष का ऐसा अंपायर बनाते हैं, जो उनके किसी खिलाड़ी को आसानी से आउट न दे और इस लड़ाई को आवश्यकतानुसार किसी भी सीमा तक ले जाए।
फिलहाल ‘कोरोना वायरस’ ने कमल नाथ सरकार की रक्षा कर दी, लेकिन राज्यपाल महोदय ने फिर से चेतावनी दी है और कल सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री इस मामले को वहाँ ले गए हैं।
एक बात और ‘कोरोना वायरस’ के कारण जहाँ भीड़ के जुटने वाली अनेक गतिविधियां, स्कूल, कालेज, क्लब, स्विमिंग पूल, कार्यालय आदि भी फिलहाल बंद कर दिए गए हैं, लोगों से अपील की गई है कि शादी आदि में अधिक लोग एकत्रित न हों और फिलहाल उनको स्थगित किया जा सके तो अच्छा है। लेकिन ऐसे में भी दादियों का शाहीन बाग प्रोटेस्ट अभी बदस्तूर जारी है। मेरा स्पष्ट मानना है कि इन बेचारी महिलाओं में अपना दिमाग नहीं है, हाँ तीस्ता सीतलवाड़ जैसी कुछ अति बुद्धिमती महिलाएं इनको समझाने अवश्य आती हैं और कुछ शातिर दिमाग लोग इस धरने को पीछे से संचालित कर रहे हैं और उनको राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा से भी कोई मतलब नहीं है। ये शातिर दिमाग लोग यही चाहते हैं कि पुलिस इनको हटाए, इस प्रक्रिया में कुछ महिलाओं और बच्चों की मृत्यु भी हो जाए तो शायद इन शातिर दिमाग लोगों को कुछ और मसाला मिल जाएगा।
देखिए क्या होता है, इस देश का तो वैसे भी भगवान ही मालिक है।
आज के लिए इतना ही।
नमस्कार।
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