
मुझको कदम कदम पे भटकने दो वाइजों
तुम अपना कारोबार करो मैं नशे में हूँ|
फिर बेख़ुदी में हद से गुजरने लगा हूँ मैं
इतना न मुझ से प्यार करो मैं नशे में हूँ|
शाहिद कबीर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मुझको कदम कदम पे भटकने दो वाइजों
तुम अपना कारोबार करो मैं नशे में हूँ|
फिर बेख़ुदी में हद से गुजरने लगा हूँ मैं
इतना न मुझ से प्यार करो मैं नशे में हूँ|
शाहिद कबीर