कुर्ता टोपी मस्ती में इनआ’म किया!

शैख़ जो है मस्जिद में, नंगा रात को था मय-ख़ाने में,
जुब्बा ख़िर्क़ा कुर्ता टोपी मस्ती में इनआ’म किया|

मीर तक़ी मीर

शैख़ ने चुपके चुपके दुआ दी!

झूम के जब रिंदों ने पिला दी,
शैख़ ने चुपके चुपके दुआ दी|

कैफ़ भोपाली

चेहरे पे नूर था!

पीते तो हमने शैख़ को देखा नहीं मगर,
निकला जो मै-कदे से तो चेहरे पे नूर था|

आनंद नारायण ‘मुल्ला’