
मुद्दतों से ये आलम न तवक़्क़ो न उम्मीद,
दिल पुकारे ही चला जाता है जाना जाना|
अहमद फ़राज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मुद्दतों से ये आलम न तवक़्क़ो न उम्मीद,
दिल पुकारे ही चला जाता है जाना जाना|
अहमद फ़राज़
अव्वल-अव्वल की मुहब्बत के नशे याद तो कर,
बे-पिये भी तेरा चेहरा था गुलिस्ताँ जाना|
अहमद फ़राज़
ज़िन्दगी तेरी अता थी सो तेरे नाम की है,
हमने जैसे भी बसर की तेरा एहसां जाना|
अहमद फ़राज़
अब के तज्दीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जाना,
याद क्या तुझ को दिलाएँ तेरा पैमां जाना|
अहमद फ़राज़
सज़ा दें, सिला दें, बना दें, मिटा दें
मगर वो कोई फ़ैसला तो सुना दें
सुदर्शन फ़ाकिर
क़यामत के दीवाने कहते हैं हमसे,
चलो उनके चहरे से पर्दा हटा दें|
सुदर्शन फ़ाकिर
कभी ग़म की आँधी, जिन्हें छू न पाए,
वफ़ाओं के हम, वो नशेमन बना दें|
सुदर्शन फ़ाकिर
अगर ख़ुद को भूले तो, कुछ भी न भूले,
कि चाहत में उनकी, ख़ुदा को भुला दें|
सुदर्शन फ़ाकिर
हर एक मोड़ पर हम ग़मों को सज़ा दें,
चलो ज़िंदगी को मोहब्बत बना दें|
सुदर्शन फ़ाकिर
अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें,
हम उनके लिए ज़िंदगानी लुटा दें|
सुदर्शन फ़ाकिर