
अफ़्सुर्दा हूँ इबरत से दवा की नहीं हाजत,
ग़म का मुझे ये ज़ोफ़ है बीमार नहीं हूँ|
अकबर इलाहाबादी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अफ़्सुर्दा हूँ इबरत से दवा की नहीं हाजत,
ग़म का मुझे ये ज़ोफ़ है बीमार नहीं हूँ|
अकबर इलाहाबादी
इस दौर में ज़िंदगी बशर की,
बीमार की रात हो गई है|
फ़िराक़ गोरखपुरी
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिए,
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए|
मुनव्वर राना
चारागर रोते हैं ताज़ा ज़ख्म को,
दिल की बीमारी पुरानी और है|
अहमद फ़राज़