
किस तरह लोग चले जाते हैं उठ कर चुप-चाप,
हम तो ये ध्यान में लाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश
आसमान धुनिए के छप्पर सा
किस तरह लोग चले जाते हैं उठ कर चुप-चाप,
हम तो ये ध्यान में लाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश