
ज़िन्दगी तू भी भिखारिन की रिदा ओढ़े हुए,
कूचा – ए – रेशमो -किमख़्वाब में आ जाती है|
मुनव्वर राना
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ज़िन्दगी तू भी भिखारिन की रिदा ओढ़े हुए,
कूचा – ए – रेशमो -किमख़्वाब में आ जाती है|
मुनव्वर राना