
नगर की बिल्डिंगें बांहों की सूरत,
बशर टूटी हुई अंगड़ाइयां हैं|
सूर्यभानु गुप्त
आसमान धुनिए के छप्पर सा
नगर की बिल्डिंगें बांहों की सूरत,
बशर टूटी हुई अंगड़ाइयां हैं|
सूर्यभानु गुप्त
गगन-छूते मकां भी, झोपड़े भी,
अजब इस शहर की रानाइयां हैं|
सूर्यभानु गुप्त