
काश कोई हम से भी पूछे,
रात गए तक क्यूँ जागे हो|
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
काश कोई हम से भी पूछे,
रात गए तक क्यूँ जागे हो|
मोहसिन नक़वी
कहानियों की गुज़रगाह पर भी नींद नहीं,
ये रात कैसी है ये दर्द जागता क्यूँ है |
राही मासूम रज़ा
हमें भी नींद आ जायेगी हम भी सो ही जायेंगे,
अभी कुछ बेक़रारी है सितारों तुम तो सो जाओ|
क़तील शिफ़ाई
वो तो सोते जागते रहने के मौसमों का फुसूँ,
कि नींद में हों मगर नींद भी न आई हो|
परवीन शाकिर
न वो आँख ही तेरी आँख थी, न वो ख़्वाब ही तेरा ख़्वाब था,
दिले मुन्तज़िर तो है किसलिए, तेरा जागना उसे भूल जा।
अमजद इस्लाम
क्या ज़माने में यूँ ही कटती है रात,
करवटें, बेताबियाँ, अँगड़ाइयाँ|
कैफ़ भोपाली
क्या वो दिन भी दिन हैं, जिनमें दिन भर जी घबराए
क्या वो रातें भी रातें हैं जिनमें नींद ना आए।
राही मासूम रज़ा
हमें भी नींद आ जायेगी हम भी सो ही जायेंगे,
अभी कुछ बेक़रारी है सितारों तुम तो सो जाओ|
क़तील शिफ़ाई
हमें तो आज की शब पौ फटे तक जागना होगा,
यही क़िस्मत हमारी है सितारों तुम तो सो जाओ|
क़तील शिफ़ाई
तुम्हें क्या आज भी कोई अगर मिलने नहीं आया,
ये बाज़ी हमने हारी है सितारों तुम तो सो जाओ|
क़तील शिफ़ाई