
हज़ारों आँसुओं के बअ’द इक ज़रा सी हँसी,
किसी ग़रीब की मेहनत का दाम हो गई है|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हज़ारों आँसुओं के बअ’द इक ज़रा सी हँसी,
किसी ग़रीब की मेहनत का दाम हो गई है|
राजेश रेड्डी
उसकी सुख़न-तराज़ियाँ मेरे लिए भी ढाल थीं,
उसकी हँसी में छुप गया अपने ग़मों का हाल भी|
परवीन शाकिर
लब पे नग़्मा और रुख़ पर इक तबस्सुम की नक़ाब,
अपने दिल का दर्द अब ‘मुल्ला’ को कहना आ गया|
आनंद नारायण मुल्ला
किरन फूल की पत्तियों में दबी,
हँसी उस के होंठों पे आई हुई|
बशीर बद्र
वो क़हर दोस्ती का पड़ा है कि इन दिनों,
जो मुस्कुरा के बात करे आश्ना लगे|
क़तील शिफ़ाई
भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे,
हम आँसुओं की तरह मुस्कुराने वाले थे|
वसीम बरेलवी
तबस्सुम उसके होठों पर है उसके हाथ में गुल है,
मगर मालूम है मुझको वो ख़ंजर लेके आया है|
राजेश रेड्डी
हो खुशी भी उनको हासिल ये ज़रूरी तो नहीं,
गम छुपाने के लिए भी मुस्कुरा लेते हैं लोग|
क़तील शिफ़ाई
हँस- हँस के जवां दिल के, हम क्यों न चुनें टुकडे़,
हर शख्स़ की किस्मत में ईनाम नहीं होता|
मीना कुमारी
हँसी मासूम सी बच्चों की कापी में इबारत सी,
हिरन की पीठ पर बैठे परिन्दे की शरारत सी|
बशीर बद्र