
ले तो आए शाइरी बाज़ार में ‘राहत’ मियां,
क्या ज़रूरी है कि लहजे को भी बाज़ारी रखो|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ले तो आए शाइरी बाज़ार में ‘राहत’ मियां,
क्या ज़रूरी है कि लहजे को भी बाज़ारी रखो|
राहत इन्दौरी