
न उम्र की सीमा हो,
न जनम का हो बंधन|
जब प्यार करे कोई,
तो देखे केवल मन|
नई रीत चलाकर तुम,
ये रीत अमर कर दो|
होंठों से छूलो तुम …
इंदीवर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
न उम्र की सीमा हो,
न जनम का हो बंधन|
जब प्यार करे कोई,
तो देखे केवल मन|
नई रीत चलाकर तुम,
ये रीत अमर कर दो|
होंठों से छूलो तुम …
इंदीवर
मुझसे पहले कितने शायर, आए और आकर चले गए,
कुछ आहें भरकर लौट गए, कुछ नग़मे गाकर चले गए,
क्यों कोई मुझको याद करे, क्यों कोई मुझको याद करे,
मसरूफ़ ज़माना मेरे लिए, क्यों वक़्त अपना बर्बाद करे|
मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी है|
पल दो पल मेरी हस्ती है, पल दो पल मेरी जवानी है|
साहिर लुधियानवी
कल और आएंगे नग़मों की खिलाती कलियां चुनने वाले,
मुझसे बहते कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले|
साहिर लुधियानवी