
मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन,
आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन,
आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन|
निदा फ़ाज़ली
क्या यही होती है शाम-ए-इंतिज़ार,
आहटें, घबराहटें, परछाइयाँ|
कैफ़ भोपाली