
सर क़लम होंगे कल यहाँ उनके,
जिनके मुँह में ज़बान बाक़ी है|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सर क़लम होंगे कल यहाँ उनके,
जिनके मुँह में ज़बान बाक़ी है|
राजेश रेड्डी
सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं,
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं|
अहमद फ़राज़
आते आते मेरा नाम सा रह गया,
उसके होठों पे कुछ कांपता रह गया|
वसीम बरेलवी