
ये फूल से चहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते,
कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रस्ते,
राहें हैं तमाशाई राही भी तमाशाई|
अली सरदार जाफ़री
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ये फूल से चहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते,
कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रस्ते,
राहें हैं तमाशाई राही भी तमाशाई|
अली सरदार जाफ़री