
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं,
ज़बां मिली है मगर हमज़बां नहीं मिलता|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं,
ज़बां मिली है मगर हमज़बां नहीं मिलता|
निदा फ़ाज़ली