
शब-ए-फ़िराक़ से आगे है आज मेरी नज़र,
कि कट ही जाएगी ये शाम-ए-बे-सहर फिर भी|
फ़िराक़ गोरखपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
शब-ए-फ़िराक़ से आगे है आज मेरी नज़र,
कि कट ही जाएगी ये शाम-ए-बे-सहर फिर भी|
फ़िराक़ गोरखपुरी
उंगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो,
खर्च करने से पहले कमाया करो|
राहत इन्दौरी