
वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में,
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो |
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में,
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो |
निदा फ़ाज़ली
बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआं तन्हा|
मीना कुमारी (महज़बीं बानो)