
दिन को दिन, रात को जो रात नहीं कहते हैं,
फ़ासले उनके बयानों से बनाए रखना|
एक बाज़ार है दुनिया जो अगर ‘राही जी’,
तुम भी दो-चार दुकानों से बनाए रखना|
बालस्वरूप राही
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दिन को दिन, रात को जो रात नहीं कहते हैं,
फ़ासले उनके बयानों से बनाए रखना|
एक बाज़ार है दुनिया जो अगर ‘राही जी’,
तुम भी दो-चार दुकानों से बनाए रखना|
बालस्वरूप राही