
एक मंज़र पे ठहरने नहीं देती फ़ितरत,
उम्र भर आँख की क़िस्मत में सफ़र लगता है|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
एक मंज़र पे ठहरने नहीं देती फ़ितरत,
उम्र भर आँख की क़िस्मत में सफ़र लगता है|
वसीम बरेलवी