
जुर्म है तेरी गली से सर झुका कर लौटना,
कुफ़्र है पथराव से घबराना तेरे शहर में|
कैफ़ी आज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जुर्म है तेरी गली से सर झुका कर लौटना,
कुफ़्र है पथराव से घबराना तेरे शहर में|
कैफ़ी आज़मी
हुआ है हुक्म कि ‘कैफ़ी’ को संगसार करो,
मसीह बैठे हैं छुप के कहाँ ख़ुदा जाने|
कैफ़ी आज़मी