
तेरी गली में आ निकले थे दोष हमारा इतना था,
पत्थर मारे, तोहमत बाँधी, ऐब लगाया लोगों ने|
कैफ़ भोपाली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तेरी गली में आ निकले थे दोष हमारा इतना था,
पत्थर मारे, तोहमत बाँधी, ऐब लगाया लोगों ने|
कैफ़ भोपाली
मैंने पूछा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठायेगा,
आई इक आवाज़ कि तू जिसका मोहसिन कहलायेगा
क़तील शिफ़ाई