
हर वक़्त हमसे पूछ न ग़म रोज़गार के,
हम से हर घूँट को कड़वा किया न जाए|
जाँ निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हर वक़्त हमसे पूछ न ग़म रोज़गार के,
हम से हर घूँट को कड़वा किया न जाए|
जाँ निसार अख़्तर