
मेरे वुजूद से यूँ बेख़बर है वो जैसे,
वो एक धूपघड़ी है मैं रात का पल हूँ|
जावेद अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मेरे वुजूद से यूँ बेख़बर है वो जैसे,
वो एक धूपघड़ी है मैं रात का पल हूँ|
जावेद अख़्तर