
कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा,
हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा|
मजरूह सुल्तानपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा,
हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा|
मजरूह सुल्तानपुरी
जब अपना दिल ख़ुद ले डूबे औरों पे सहारा कौन करे,
कश्ती पे भरोसा जब न रहा तिनकों पे भरोसा कौन करे|
आनंद नारायण मुल्ला
वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे,
कट चुके जो हाथ उन हाथों में तलवारें न देख ।
दुष्यंत कुमार