
पसीने बाँटता फिरता है हर तरफ़ सूरज,
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूँगा उसे|
राहत इंदौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
पसीने बाँटता फिरता है हर तरफ़ सूरज,
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूँगा उसे|
राहत इंदौरी
भरी दोपहर का खिला फूल है,
पसीने में लड़की नहाई हुई|
बशीर बद्र
पसीने बांटता फिरता है हर तरफ़ सूरज,
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे|
राहत इन्दौरी
हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ,
मैं भी किसी क़मीज़ के कॉलर का रंग हूँ|
सूर्यभानु गुप्त