
तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र शाम के बाद,
फूल शहरों में भी खिलते हैं मगर शाम के बाद|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र शाम के बाद,
फूल शहरों में भी खिलते हैं मगर शाम के बाद|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’