
जो चुप-चाप रहती थी दीवार पर,
वो तस्वीर बातें बनाने लगी|
आदिल मंसूरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जो चुप-चाप रहती थी दीवार पर,
वो तस्वीर बातें बनाने लगी|
आदिल मंसूरी
नज़र मिली भी न थी और उन को देख लिया,
ज़बाँ खुली भी न थी और बात भी कर ली|
कैफ़ी आज़मी
तन्हाइयों ने तोड़ दी हम दोनों की अना!,
आईना बात करने पे मजबूर हो गया|
बशीर बद्र
आँखों में जो बात हो गई है,
इक शरह-ए-हयात हो गई है|
फ़िराक़ गोरखपुरी
पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा,
हम जवाब क्या देते खो गए सवालों में|
बशीर बद्र
कैसे कह दूँ कि मुलाकात नहीं होती है,
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है|
शकील बदायूँनी
उस रोज़ जो उनको देखा है अब ख़्वाब का आलम लगता है।
उस रोज़ जो उनसे बात हुई वो बात भी थी अफ़साना क्या॥
इब्ने इंशा
इतने शोर में दिल से बातें करना है नामुमकिन
जाने क्या बातें करते हैं आपस में हमसाए।।
राही मासूम रज़ा