
दुख फ़साना नहीं कि तुझसे कहें,
दिल भी माना नहीं कि तुझ से कहें|
अहमद फ़राज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दुख फ़साना नहीं कि तुझसे कहें,
दिल भी माना नहीं कि तुझ से कहें|
अहमद फ़राज़