
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे,
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे,
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है|
राहत इन्दौरी