
मंज़िल है उस महक की कहाँ किस चमन में है,
उसका पता सफ़र में हवा ने नहीं दिया|
मुनीर नियाज़ी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मंज़िल है उस महक की कहाँ किस चमन में है,
उसका पता सफ़र में हवा ने नहीं दिया|
मुनीर नियाज़ी