
जाने किस मोड़ पे मिट जाएँ निशाँ मंज़िल के,
राह के ठौर-ठिकानों से बनाए रखना|
हादसे हौसले तोड़ेंगे सही है फिर भी,
चंद जीने के बहानों से बनाए रखना|
बालस्वरूप राही
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जाने किस मोड़ पे मिट जाएँ निशाँ मंज़िल के,
राह के ठौर-ठिकानों से बनाए रखना|
हादसे हौसले तोड़ेंगे सही है फिर भी,
चंद जीने के बहानों से बनाए रखना|
बालस्वरूप राही