
हम हैं तेरा ख़याल है तेरा जमाल है,
इक पल भी अपने-आप को तन्हा किया न जाए|
जाँ निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हम हैं तेरा ख़याल है तेरा जमाल है,
इक पल भी अपने-आप को तन्हा किया न जाए|
जाँ निसार अख़्तर
उजालों की परियाँ नहाने लगीं,
नदी गुनगुनाई ख़यालात की|
बशीर बद्र
तुझको सोचा तो खो गईं आँखें,
दिल का आईना हो गईं आँखें|
नक़्श लायलपुरी