
या जगा देते हैं ज़र्रों के दिलों में मय-कदे,
या बना लेते हैं मेहर-ओ-माह को पैमाना हम|
अली सरदार जाफ़री
आसमान धुनिए के छप्पर सा
या जगा देते हैं ज़र्रों के दिलों में मय-कदे,
या बना लेते हैं मेहर-ओ-माह को पैमाना हम|
अली सरदार जाफ़री