
कैसी मशालें ले के चले तीरगी में आप,
जो रोशनी थी वो भी सलामत नहीं रही|
दुष्यंत कुमार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कैसी मशालें ले के चले तीरगी में आप,
जो रोशनी थी वो भी सलामत नहीं रही|
दुष्यंत कुमार
जब मशालें लगातार बढ़ती गईं,
रौशनी हारकर मुख्तसर हो गई|
रामावतार त्यागी