
जो उन पे गुज़रती है किसने उसे जाना है,
अपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है|
जिगर मुरादाबादी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जो उन पे गुज़रती है किसने उसे जाना है,
अपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है|
जिगर मुरादाबादी
फ़र्ज़ करो ये जी की बिपदा, जी से जोड़ सुनाई हो,
फ़र्ज़ करो अभी और हो इतनी, आधी हमने छुपाई हो|
इब्ने इंशा