
अपने अंदाज़ का अकेला था,
इसलिए मैं बड़ा अकेला था|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अपने अंदाज़ का अकेला था,
इसलिए मैं बड़ा अकेला था|
वसीम बरेलवी
क्या हुस्न है जमाल है क्या रंग-रूप है,
वो भीड़ में भी जाए तो तन्हा दिखाई दे|
कृष्ण बिहारी नूर
मुझ में ही कुछ कमी थी कि बेहतर मैं उनसे था,
मैं शहर में किसी के बराबर नहीं रहा|
मुनीर नियाज़ी