
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है,
ज़ख़्म हर सर पे, हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है|
सुदर्शन फाक़िर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है,
ज़ख़्म हर सर पे, हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है|
सुदर्शन फाक़िर